भोपाल। मध्य प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को बिजली का झटका लग सकता है. राज्य की मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए घरेलू बिजली की दरें 5.28 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज दिया है. नियामक आयाेग ने बिजली कंपनियों के इस प्रस्ताव काे अपनी अधिकृत वेबसाइट पर रिलीज कर दिया है।
बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग को तर्क दिया है कि वर्तमान दर से उन्हें सालाना दो हजार करोड़ रुयये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. बिजली के दाम बढ़ने से 150 यूनिट या उससे कब बिजली इस्तेमाल करने वालों पर बोझ बढ़ सकता है. अगर बिजली कंपनियां अपनी दरें बढ़ाती हैं तो उनके राजस्व में 41332 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी।
वर्तमान दर से बिजली कंपनियों को 39332 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति होती है. राज्य सरकार चाहे तो बिजली कंपनियों को सब्सिडी देकर दरों को बढ़ने से रोक सकती है. नियामक आयोग बिजली कंपनियों का प्रस्ताव स्वीकार करता है तो बढ़ी दरों का सबसे ज्यादा बोझ घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों पर पड़ेगा।
वर्तमान में इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत 100 यूनिट बिजली खपत करने वालों का बिल 100 रुपए आता है. वहीं 150 यूनिट बिजली खपत करने वालों का शेष 50 यूनिट पर सामान्य दर से करीब 350 रुपये का बिल आता है. दरें बढ़ीं तो यह राशि बढ़कर 600 रुपये से अधिक हो जाएगी और 300 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वालों का बिल करीब 2000 रुपए आएगा. इसमें फिक्स चार्ज भी शामिल रहेगा।